Pushpa Full Movie Story and Review in Hindi
- मूवी का नाम: पुष्पा
- भाग 1: Pushpa: The Rise (2021)
- भाग 2: Pushpa: The Rule (2024)
- डायरेक्टर: सुकुमार
- स्टारकास्ट: अल्लू अर्जुन, फहद फासिल, रश्मिका मंदाना, सुनील, अजय घोष
- भाषा: तेलुगू (डब्ड हिंदी सहित)
पुष्पा का सफर: जंगलों से सम्राट बनने तक
पुष्पा राज — एक ऐसा नाम जो समाज की नजर में सिर्फ एक “नीची जाति” का लड़का था, लेकिन उसकी नज़रों में खुद की कीमत आसमान से भी ऊँची थी। एक ऐसा इंसान जो कभी स्कूल नहीं गया, लेकिन ज़िंदगी के तजुर्बों ने उसे दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी बना दिया।
शुरुआत होती है जंगलों से, जहाँ रेड सैंडलवुड यानी “लाल चंदन” की अवैध कटाई और तस्करी होती है। वहीं मजदूरों की भीड़ में एक चुपचाप सा लड़का काम करता है — लेकिन उसके अंदर आग है, सोच है, और सबसे ज़रूरी बात — अपने हालात बदलने की ज़िद।
पुष्पा को किसी भी सिस्टम या कानून की परवाह नहीं। वह अपने दिमाग और हिम्मत के दम पर जंगल से लकड़ी काटने वाले साधारण मजदूर से सीधा स्मगलिंग सिंडिकेट के बॉस तक का सफर तय करता है।
वो सिर्फ लकड़ी नहीं ले जाता, सिस्टम को चीरता है।
हर बार जब पुलिस उसके ट्रक को पकड़ने आती है, वो किसी नई तरकीब से उन्हें चकमा देता है — कभी ट्रक की छत पर फूलों की बोरियां, कभी मंदिरों की मूर्तियां — हर चाल में उसकी चालाकी झलकती है।
पुष्पा के रास्ते में दुश्मन भी कम नहीं — चाहे वो गैंग के पुराने डॉन हों या पुलिस अफसर, सभी उसे नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। लेकिन पुष्पा कहता है:
“झुकेगा नहीं साला!”
और यही उसकी पहचान बन जाती है।
पुष्पा और श्रीवल्ली: एक मासूम मोहब्बत
इस खून-खराबे और ताकत की दुनिया में भी पुष्पा का दिल धड़कता है — श्रीवल्ली के लिए। एक सीधी-सादी लड़की जो उसकी मोहब्बत को पहले मज़ाक समझती है। लेकिन धीरे-धीरे, पुष्पा का बेमक़सद सा इश्क़, उसके लिए सच्ची चाहत में बदल जाता है।
श्रीवल्ली को मनाने के लिए पुष्पा वह सब करता है जो एक आम प्रेमी करता है — प्यार में इमोशनल होना, दिल से तोहफे देना और जान तक जोखिम में डालना। दोनों की केमिस्ट्री फिल्म को एक सॉफ्ट टच देती है, जो दर्शकों को ज़रूर छूता है।
'Srivalli' गाना इस प्रेम कहानी को अमर बना देता है — और दर्शक सिनेमाघर में झूम उठते हैं।
क्लाइमेक्स का क्लैश: पुष्पा V/S भंवर सिंह
जैसे ही पुष्पा अपने अपराध साम्राज्य का बेताज बादशाह बनता है, कहानी में एंट्री होती है — भंवर सिंह शेखावत (फहद फासिल) की। एक ऐसा पुलिस अफसर जो कानून की रक्षा कम, अपने ईगो की रक्षा ज़्यादा करता है।
भंवर सिंह और पुष्पा की पहली मुलाकात ही आग की तरह होती है — एक टेबल के दोनों सिरों पर दो शेर बैठे होते हैं। और फिर शुरू होती है मन और सम्मान की लड़ाई, जिसमें कोई कानून या हथियार नहीं, सिर्फ मानसिक खेल और इगो की ताकत चलती है।
भंवर सिंह पुष्पा को नीचा दिखाने के लिए उसकी माँ, उसकी पहचान और उसकी औकात को ललकारता है। लेकिन फिल्म के सबसे ज़बरदस्त मोमेंट में पुष्पा उठकर अपनी कमीज़ उतारता है और कहता है:
“Pushpa naam sunke flower samjhe kya?...
Fire hai main!”
यह डायलॉग केवल डायलॉग नहीं, एक ऐलान है कि पुष्पा अब सिर्फ स्मगलर नहीं, एक आइकॉन है।
निष्कर्ष
इस हिस्से में दर्शक सिर्फ एक स्मगलर की कहानी नहीं देखते — बल्कि एक ऐसे आदमी की जर्नी देखते हैं जो हर अपमान, हर रुकावट, और हर सामाजिक बंधन को तोड़ता है।
पुष्पा: द राइज़ एक परफेक्ट मास एंटरटेनर है जिसमें एक्शन, इमोशन, रोमांस और रिवेंज का ऐसा मेल है जो भारतीय सिनेमा को एक नया मुकाम देता है।